मृदा के भौतिक गुण क्या हैं | physical properties of soil in hindi

मिट्टी के भौतिक गुण (physical properties of soil in hindi) का फसल उत्पादन क्षमता पर भारी प्रभाव पड़ता है क्योंकि पौधों की जड़ों का भूमि में प्रवेश, जल निकास, जलधारण, वायु संचार, पोषक तत्वों की उपलब्धि, पौधों की वृद्धि और विकास, आदि मृदा के भौतिक गुणों पर निर्भर करते हैं ।

मृदा की रासायनिक तथा जैविक क्रियाओं पर भी भौतिक गुणों का प्रभाव पड़ता है । पौधों की वृद्धि के दृष्टिकोण से मृदा की भौतिक दशायें मृदा वाप्स (टिल्थ) कहलाती हैं ।

मृदा टिल्थ के ऊपर ही पौधों का विकास निर्भर करता है (physical conditions of soil in relation to plant growth is known as tilth) ।


मृदा के भौतिक गुण क्या हैं | physical properties of soil in hindi

मृदा के प्रमुख भौतिक गुण निम्नलिखित हैं -

  • मृदा गठन ( Soil texture )
  • मृदा संरचना ( Soil structure )
  • मृदा घनत्व ( Soil density )
  • मृदा ताप और मृदा तापमान ( Soil heat and soil temperature )
  • मृदा रंग ( Soil colour )
  • मृदा की दृढ़ता या गाढ़ता ( Soil consistency )
  • मृदा नमी या मृदा जल ( Soil water )
  • मृदा कोलाइड ( Soil colloids )
  • मृदा रन्ध्राकाश ( Soil pore space or Porosity )
  • मृदा वायु ( Soil air )

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मृदा के भौतिक गुण क्या हैं | physical properties of soil in hindi 


मृदा के भौतिक गुणों का वर्णन -


1. मृदा गठन ( Soil Texture )

मृदा के विभिन्न मृदा वर्ग कणों के सापेक्षिक आकार को मृदा गठन (soil texture) कहते हैं ।

इससे मृदा वर्ग कणों की बनावट अर्थात् गठन का पता चलता है । कणाकार में भिन्नता के आधार पर मृदा को बालू , सिल्ट तथा क्ले के विभिन्न वर्ग कणों में विभाजित किया जाता है ।

मृदा कणों का आकार निम्न प्रकार होता है -

  • मोटी बालू = 2.0-0.20mm से अधिक
  • महीन बालू = 0.20-0.02mm से कम
  • सिल्ट - 0.02-0.002mm से कम
  • क्ले (चिकनी मिट्टी) - 0.002mm से कम


2. मृदा सरंचना ( Soil Structure )

मृदा कणों और कण समूहों की विशेष व्यवस्था को मृदा संरचना (soil structure) कहते हैं । इससे मृदा कण समूहों के कणों के क्रम अर्थात् कण विन्यास का पता चलता है ।

मृदा कणों के क्रम में भिन्नता के आधार पर मृदा को बाँटा जाता है -

  • एक कणीय
  • महापुँजीय,
  • कणात्मक
  • नटाकार तथा प्रिज्मीय आदि ।


3. मृदा घनत्व ( Soil Density )

सामान्यतः एक आयतन मिट्टी का द्रव्यमान ही मृदा घनत्व (soil density) कहलाता हैं ।

मृदा घनत्व दो प्रकार का होता हैं -

  • स्थूल घनत्व
  • कण घनत्व


4. मृदा रन्ध्राकाश (pore space of soil)

मृदा कणों के बीच कुछ खाली स्थान उपस्थित होता हैं इसे ही मृदा रन्ध्राकाश (pore space of soil) कहते हैं ।

इसे प्रतिशत में नापते है और इस रिक्त स्थान के आधे भाग में जल और आधे भाग में वायु होती हैं ।

मृदा रन्ध्राकाश दो प्रकार का होता है -

  • केशीय रंध्र
  • अकेशीय रंध्र


5. मृदा वातन या मृदा वायु ( Soil Aeration )

मृदा कणों के बीच खाली स्थान में उपस्थित रन्ध्राकाश के आधे भाग में वायु होती हैं ।

मृदा वायु में नाइट्रोजन, आक्सीजन, ओर कार्बन डाइऑक्साइड भिन्न भिन्न मात्रा में पाई जाती हैं ।

मृदा में उपस्थित गैसौ की मात्रा -

  • नाइट्रोजन - 79.00
  • आक्सीजन - 20.00
  • कार्बन डाइऑक्साइड - 1.00


6. मृदा ताप और मृदा तापमान ( Soil Heat & Soil temperature )

मृदा ताप का तात्पर्य मृदा में उपस्थित सम्पूर्ण ऊष्मा से है । मृदा की ऊष्मा का अधिकांश भाग सूर्य से प्राप्त होता है ।

“मृदा तापमान का अर्थ है कि मृदा कितने डिग्री सेल्सियस या फारेनहाइट तक गर्म है ।"

भूमि को ऊष्मा चार प्रकार से मिलती है —

  1. सूर्य से
  2. वर्षा से
  3. भूमि के भीतरी भाग से
  4. जैव पदार्थों के सड़ने से ।

मृदा तापमान को जलवायु, वनस्पति, मृदा गठन तथा संरचना, मृदा का रंग, जीवांश की मात्रा, रन्ध्राकाश, भूमि का ढाल तथा भूमि की सतह के जल वाष्पन, आदि बातें प्रभावित करती हैं ।


7. मृदा रंग ( Soil Colour )

विभिन्न मृदाओं का रंग अलग - अलग होता है । मृदाओं का रंग पैतृक पदार्थ से अथवा मृदा निर्माण कारकों से होता है ।

जैसे - लाल बलुई पत्थर (red sand stone) पैतृक पदार्थ से बनने वाली मृदायें लाल मिट्टियाँ (red soils) कहलाती हैं ।

"मृदा में रंग ह्यूमस की मात्रा एवं आयरन (लोहे) के यौगिकों की उपस्थिति के कारण भी पाया जाता है ।"


8. मृदा की दृढ़ता या मृदा गाढ़ता ( Soil Consistency )

नमी की विभिन्न अवस्थाओं में मृदा की गाढ़ता इसके कणों के पारस्परिक खिंचाव को बताती है ।

मृदा गाढ़ता उस प्रत्यारोधन (resistance) को प्रकट करती है जिसके द्वारा मृदा अपने रूप या मात्रा को बिगड़ने से बचाती है । 


9. मृदा जल ( Soil Water )

मिट्टी में नमी के रूप में उपस्थित वह जल जिसे पौधे भोजन बनाने के लिए ग्रहण करते हैं वह मृदा जल (soil water) कहलाता हैं ।

मृदा जल तीन प्रकार का होता हैं -

  • गुरुत्वीय जल
  • केशिका जल
  • आद्रताग्राही जल


10. मृदा कोलाइड ( Soil Colloid )

मृदा के 0.001mm से कम आकार के कणों को ही मृदा कोलाइड्स (soil colloids) कहा जाता हैं ।

यह दो प्रकार के होते है -

  • कार्बनिक कोलाइड
  • अकार्बनिक कोलाइड

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