राइजोबियम एक सहजीवी जैव उर्वरक या जीवाणु होते है, जो दलहनी फसलों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण का कार्य करते हैं । दलहनी फसलों में बुवाई से पहले राइजोबियम कल्चर (rhizobium culture in hindi) का प्रयोग अत्यंत आवश्यक होता है ।
राइजोबियम जीवाणु दलहनी फसलों की जड़ों की गाँठों पर पाए जाते हैं । दलहन वर्ग की फसलों में राइजोबियम कल्चर के प्रयोग से रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम पड़ती है ।
राइजोबियम कल्चर क्या है? | rhizobium culture in hindi
दलहनी फसलों की जड़ों में पाये जाने वाली गाँठों पर राइजोबियम जीवाणु पाये जाते हैं जो वायुमण्डल में पाये जाने वाली नाइट्रोजन को भूमि में स्थिर करने का कार्य करते हैं ।
इन जीवाणुओं को सक्रिय करने के लिये दलहन वर्ग की फसलों की बुवाई करने से पूर्व एक विशेष प्रकार की कल्चर से उपचारित किया जाता है जिसे राइजोबियम कल्चर (rhizobium culture in hindi) कहा जाता है ।
इसके प्रयोग से दलहनी फसलें एक हैक्टेयर खेत में 30 से 50 किग्रा० तक नाइट्रोजन प्रतिवर्ष संचित करती हैं ।
राइजोबियम कल्चर क्या है दलहनी फसलों में राइजोबियम कल्चर का उपयोग एवं लाभ लिखिए |
दलहनी फसलों में राइजोबियम कल्चर उपयोग कैसे किया जाता है?
यदि खेत में चने की फसल प्रथम बार या 5-6 वर्षों के बाद पुनः बोई जा रही है तो चने के बीज को उपयुक्त राइजोबियम कल्चर (rhizobium culture in hindi) से उपचारित करना चाहिये ।
राइजोबियम कल्चर का उपचार बीज के फफूंदीनाशक रसायन के उपचार के पश्चात् ही करना चाहिये ।
राइजोबियम कल्चर की प्रयोग विधि
दलहनी फसलों के बीज को बुवाई से पूर्व राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के लिये आधा लीटर जल में 50 ग्राम गुड़ का घोल बनाते हैं ।
इस घोल को 10 मिनट तक गर्म करने के पश्चात् ठण्डा करना चाहिये । इसमें 250 ग्राम राइजोबियम कल्चर (rhizobium culture in hindi) (एक पैकिट) को 25 किग्रा. बीज पर डालकर मिला लेते हैं । तत्पश्चात् इस बीज को छाया में सुखाकर बुवाई करते हैं ।
अत: दलहन वर्ग की फसल पहली बार बोने पर राइजोबियम कल्चर का प्रयोग आवश्यक होता है ।
दलहनी फसलों में राइजोबियम कल्चर के क्या लाभ है?
दलहनी वर्ग की फसलों की बुवाई से पहले राइजोबियम कल्चर का प्रयोग करना आवश्यक होता है ।
राइजोबियम कल्चर के प्रमुख निम्नलिखित लाभ हैं -
- राइजोबियम जीवाणु नाइट्रोजन को पौधों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं, अत: नाइट्रोजन का स्थिरीकरण होता है ।
- रासायनिक उर्वरकों मुख्यत: नाइट्रोजन की आवश्यकता कम पड़ती है ।
- दलहनी फसलों जैसे - चना, मूंग, उड़द एवं अरहर की खेती से उपज में बढ़ोतरी होती है ।